एक बार की बात है, एक उदार और दयालु राजा रहता था। वह पक्षियों और जानवरों से बहुत प्यार करता था, और उसने अपने राज्य में एक विशाल पक्षी अभ्यारण्य (Sanctuary) बना रखा था। राजा को जानवरों और पक्षियों को नुकसान पहुँचाना या उनका शिकार करना पसंद नहीं था।
पक्षियों के प्रति उनकी उदारता और दया की सराहना करते हुए एक व्यापारी ने राजा को दो सुंदर बाज़ उपहार में दिए थे। उन दो बाज़ों का इस्तेमाल अलग-अलग जलवायु के लिए किया जाता था। राजा ने व्यापारी को धन्यवाद दिया और अपने प्रधान पक्षी प्रशिक्षक को आदेश दिया कि वह उन खूबसूरत बाज़ों को सभी सुविधाएँ प्रदान करें और उन्हें अपने राज्य के वातावरण में सहज महसूस कराएं। प्रधान प्रशिक्षक ने पक्षियों की अच्छी देखभाल करी। धीरे-धीरे, वे पक्षी उस राज्य की जलवायु के वातावरण के आदी हो गए।
एक दिन, राजा ने बाज़ों को उड़ते हुए देखने की इच्छा जाहिर की क्योंकि उसने सुना था कि वे बाज़ बहुत तेज़ गति से और बड़ी ऊँचाई तक उड़ान भर सकते है। पक्षी प्रशिक्षक ने एक बाज़ को बाड़े से बाहर जाने दिया। वह बहुत तेज़ी से उड़ा और कुछ ही मिनटों में वापस बाड़े में आ गया।
राजा बहुत खुश हुआ और उसने पक्षी प्रशिक्षक को मुट्ठी भर सोने के सिक्कों से पुरस्कृत किया। राजा ने दूसरे बाज़ के बारे में पूछताछ की। पक्षी प्रशिक्षक ने खेद के साथ बताया कि, “दूसरा बाज़ पहले दिन से एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा और बस एक पेड़ की शाखा पर जाकर बैठ गया है।” प्रशिक्षक ने यह भी कहा कि, “उसने हर संभव कोशिश की थी लेकिन फिर भी इस पक्षी को उड़ान भराने में वह असफल रहा है।”
राजा ने उसे सांत्वना दी और उससे कहा कि, “वह किसी अधिक अनुभवी को इस बाज़ को प्रशिक्षित करने के लिए लाएगा।”
जल्द ही, राजा ने घोषणा कर दी कि उसे उस बाज़ को उड़ान सिखाने के लिए एक प्रशिक्षक की आवश्यकता है।
यह घोषणा सुनकर, एक वृद्ध व्यक्ति राजा के महल में पहुँचा और उसने राजा को आश्वस्त किया कि, “वह इस बाज को भी दूसरे बाज की तरह उड़ना सीखा देगा।”
राजा ने प्रधान प्रशिक्षक को उस वृद्ध को बाज के पास अभ्यारण्य में ले जाने के लिए कहा। राजा ने कहा कि, “वह अगले दिन उनसे मिलने जाएँगे और देखेंगे कि क्या इस बाज में कोई बदलाव आया है?”
अगले दिन दूसरे बाज़ को पहले वाले बाज की तरह तेजी से बड़ी ऊँचाइयों तक उड़ते देख राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। राजा बहुत खुश हुआ और उसने वृद्ध को मुट्ठी भर सोने के सिक्के भेंट किए।
तब राजा ने वृद्ध से पूछा कि, “उसने एक दिन में पक्षी को उड़ान सिखाने के लिए क्या किया?” वृद्ध ने सरलता से उत्तर दिया, “मैंने केवल उस पेड़ की शाखा को काट दिया, जहाँ यह बाज़ जाकर बैठता था।”
हम में से भी कई ऐसे हैं, हमारे पास उड़ने के लिए पंख हैं; हम जानते हैं कि हमें कैसे और कहाँ उड़ना है; फिर भी हम कुछ नहीं करते, अपना आराम क्षेत्र नहीं त्यागते, या कुछ ऐसा करते हैं जो हमें दूसरों से कमतर बना देता है।