नंगा राजा

एक बहुत मशहूर कहानी है कि एक राजा था जो बहुत घमंडी था और जो उसकी चाटुकारिता करता उनसे खुश रहता जिससे उसके दरबार में ज्यादातर चाटुकारों का ही बोलबाला था, जनता हित और राज्य की समस्याओं पर किसी का ध्यान नहीं जाता था। एक दरबारी जो सच्चा ईमानदार और जनता का सेवक था जो राज्य का भला चाहता था उसने राजा की आंखें खोलने का प्लान बनाया दूसरे देश से उसने कुछ लोग बुलाए और राजा से बोला राजन ये फलां देश के बुनकर हैं बहुत शानदार कपड़ा बुनते हैं मैंने आपके लिए इनको बुलाया है ये सोने चांदी के तारों से आपके लिए बहुत सुंदर पोशाक बुनेंगे जैसा आजतक किसी ने नहीं बुना होगा वह पोशाक तिलिस्मी होगी जो सिर्फ सच्चे और ईमानदार लोगों को दिखाई देगी, झूठे और बेईमान लोगों को दिखाई नहीं देगी।

राजा बहुत खुश हुआ और उनकी मांग के अनुसार सोना चांदी हीरे जवाहरात दिए और कपड़े बुनने के लिए एक मकान दिया जहां वो आराम से अपना काम कर सकें।

मकान में कपड़ा बुनने का काम शुरू हो गया कुछ दिन बाद राजा ने अपने दरबार के कुछ लोगों को भेजा कि देखो जाकर कपड़ा कैसा बन रहा है।

जब दरबारी गये तो देखा कि देखा बड़े बड़े सांचों में कपड़ा तो बुना जा रहा है मगर उन्हें दिखाई नहीं दे रहा दरबारियों ने सोचा कि अगर हम कहते हैं कि कपड़ा दिखाई नहीं दे रहा तो हम झूठे और बेईमान माने जांएगे इसलिए वे कपड़े की तारीफ करके चले गए और राजा को भी बताया कि बहुत शानदार कपड़ा बुना जा रहा है।

कुछ दिन बाद राजा ने भी कपड़े देखने गया उसने भी देखा कि कारीगर कपड़े बुन रहे हैं मगर कपड़ा राजा को भी नहीं दिखा। राजा ने भी सोचा अगर मैं कहता हूं कपड़ा नहीं दिखाई दे रहा तो मुझे भी झूठा और बेईमान समझा जाएगा इसलिए वो भी कपड़े की तारीफ करके चला गया।

कुछ दिनों बाद ऐलान हुआ कि राजा साहब की तिलस्मी और खूबसूरत पोशाक बनकर तैयार हो गई है राजा उसे पहनकर शहर भ्रमण को निकलेंगे,शहर के सभी लोग अपने अपने घरों के बाहर राजा के स्वागत के लिए खड़े रहें।

बाकायदा कारीगरों ने राजा साहब को नई पोशाक पहनाई और शहर में घुमाने के लिए निकले। बाकायदा चार लोग राजा के पोशाक के पीछे लटकने वाले कपड़े को पकड़ कर चल रहे थे, राजा शहर में घूम रहा था कपड़ा किसी को दिखाई नहीं दे रहा था फिर भी पूरे शहर की जनता जोर जोर से चिल्ला रही थी कि राजा की पोशाक बहुत शानदार है ऐसी पोशाक हमने आजतक नहीं देखी।

शहर भर में घूमते घूमते एक छोटा बच्चा चिल्ला उठा राजा तो नंगा है। राजा चौंका उसने सोचा कि ए छोटा बच्चा ना ही झूठा हो सकता है और ना ही बेईमान।

उसने तुरंत उस दरबारी को बुलाया और हकीकत पूछी तो दरबारी ने बताया राजा साहब ना ही कोई कपड़ा बुना गया है ना ही कोई कपड़ा आपको पहनाया गया है ये तो सिर्फ आपकी आंखें खोलने के लिए मैंने सब नाटक किया था जिससे आप समझ सको की आप चाटुकारों से घिरे हुए हैं।

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