निर्वाण षट्कम
मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु:चिदानन्दरूप:शिवोऽहम्शिवोऽहम्॥1॥ मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं, […]
मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु:चिदानन्दरूप:शिवोऽहम्शिवोऽहम्॥1॥ मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं, […]
कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। कृष्ण
हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ
सन् 1528__ बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या के रामकोट में स्थित राम जन्मस्थान मंदिर को तोड़कर उसी स्थान
दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु
अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी “कहोड़” को अशुद्ध वेद पाठ करने के
हम सभी के जीवन में चार पत्नियां होती हैं। हम उसी की उपेक्षा अधिक करते हैं जो सबसे अधिक प्रेम करती है।