निर्वाण षट्कम
मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु:चिदानन्दरूप:शिवोऽहम्शिवोऽहम्॥1॥ मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं, […]
मनोबुद्धयहंकारचित्तानि नाहम् न च श्रोत्र जिह्वे न च घ्राण नेत्रे न च व्योम भूमिर्न तेजॊ न वायु:चिदानन्दरूप:शिवोऽहम्शिवोऽहम्॥1॥ मैं न तो मन हूं, न बुद्धि, न अहंकार, न ही चित्त हूं मैं न तो कान हूं, […]
कृष्ण को पूर्णावतार कहा गया है। कृष्ण के जीवन में वह सबकुछ है जिसकी मानव को आवश्यकता होती है। कृष्ण
यह दौर था हमारे साइकिल सीखने का। और हमारे जमाने में साइकिल तीन चरणों में सीखी जाती थी। पहला चरण
एक औरत बहुत महँगे कपड़े में अपने मनोचिकित्सक के पास गई और बोली “डॉ साहब ! मुझे लगता है कि
एक ट्रेन द्रुत गति से दौड़ रही थी। ट्रेन अंग्रेजों से भरी हुई थी। उसी ट्रेन के एक डिब्बे में
एक बार एक सुनार से लक्ष्मी जी रूठ गई उन्होंने जाते वक्त सुनार से बोला मैं जा रही हूँ और
एक सम्राट एक गरीब स्त्री के प्रेम में पड़ गया। सम्राट था! स्त्री तो इतनी गरीब थी कि खरीदी जा
हिमालय की कोख गंगोत्री से निकली गंगा (भागीरथी), हरिद्वार (देवप्रयाग) में अलकनंदा से मिलती है। यहाँ तक आते-आते इसमें कुछ
सन् 1528__ बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या के रामकोट में स्थित राम जन्मस्थान मंदिर को तोड़कर उसी स्थान
एक सज्जन रेलवे स्टेशन पर बैठे गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहे थे तभी जूते पॉलिश करने वाला एक लड़का आकर
एक बूढ़ा आदमी एक जवान आदमी से मिलता है जो पूछता है:“क्या तुम मुझे याद करते हो?”और बूढ़ा आदमी कहता
एक शेफ एक सूट बनवाने के लिए अपने पड़ोस में एक दर्जी की दुकान पर गया। जब विनम्र दर्जी अपना
“1892 में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में, एक 18 वर्षीय छात्र को अपनी फीस का भुगतान करने के लिए संघर्ष करना पड़ा।
दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु
अष्टावक्र इतने प्रकाण्ड विद्वान थे कि माँ के गर्भ से ही अपने पिताजी “कहोड़” को अशुद्ध वेद पाठ करने के
ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान एक दिन अपने खेत पर काम कर रहा था तभी
एक बार कुछ scientists ने एक बड़ा ही interesting experiment किया.. उन्होंने 5 बंदरों को एक बड़े से cage में
एक विशाल जहाज का इंजन खराब हो गया। लाख कोशिशों के बावजूद कोई इंजीनियर उसे ठीक नहीं कर सका। फिर
एक सुन्दर महिला ने विमान में प्रवेश किया और अपनी सीट की तलाश में नजरें घुमाईं। उसने देखा कि उसकी
आज होलिका के अवसर पर जागे भाग गुलाल केजिसने मृदु चुम्बन ले डाले हर गोरी के गाल के आज रंगो
संस्कृत की क्लास मे गुरूजी ने पूछा : पप्पू इस श्लोक का अर्थ बताओ.“कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन”.पप्पू = राधिका शायद
अंत समय में आप का रिग्रेट (पछतावा) क्या होगा? आस्ट्रेलिया की ब्रोनी वेयर कई वर्षों तक कोई मीनिंगफ़ुल काम तलाशती रहीं, लेकिन
किस तरह हमारे माँ बाप बचपन में अपनी सारी खुशियों को त्यागते हुए हमे पालते है बड़े करते है और
एक बार की बात है. एक राह चलते फकीर से एक लड़के ने पूछा– “बाबा! मैंने कई जगह पढ़ा है
कभी नेनुँआ टाटी पे चढ़ के रसोई के दो महीने का इंतज़ाम कर देता था। कभी खपरैल की छत पे
हिन्दू धर्म के यह प्रसिद्ध बारह संवाद, जानकर चौंक जाएंगे!! हिन्दू धर्म में दो लोगों के बीच होने वाले ऐसे
लखनऊ के एक उच्चवर्गीय बूढ़े पिता ने अपने पुत्रों के नाम एक चिट्ठी लिखकर खुद को गोली मार ली।चिट्टी क्यों
जीवन है तो समस्या है। समस्या का समाधान भी उतना ही जरुरी है। पर हम समस्या पर कैसी प्रतिक्रिया करते हैं यह बहुत महत्वपूर्ण है। एक कहानी जो बड़े ही सरल तरीके से यह बात समझाती है।
एक औरत को आखिर क्या चाहिए होता है?एक बार जरुर पढ़े ये छोटी सी कहानी:राजा हर्षवर्धन युद्ध में हार गए।
हम सभी के जीवन में चार पत्नियां होती हैं। हम उसी की उपेक्षा अधिक करते हैं जो सबसे अधिक प्रेम करती है।